Saturday 20 April 2013

तमन्ना  
किस्सा  कहानियों का था
हम हकीकत समझ बैठे
 रूबरू हूँ तेरी खुसबू से
ये महक अब तो दर ब दिन बदती जाएगी
दरिया दिल समंदर बन बैठा
अब  तो फ़ना हो जाऊ
बस येही  तमन्ना बाकी

1 comment:

  1. सुन्दर भाव व्यक्त किये हैं।

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