Sunday 21 April 2013

ख्याल 
जब छोटे स्कूल में  पड़ते थे पदाया गया की
 १. भारत एक धर्मनिर्पक्ष रास्ट्र है 
मगर आज हर व्यक्ति धर्म की ही बात करता है फेसबुक facebook से लेकर कही भी सब  जगह एक ही बात
२. छुवाछुत, जातिवाद, में ब्राम्हण तू  राजपूत तू राजा तू रंक , 
जो संस्कार बचपन में दिए गए आज उन्ही संस्कारों का वार्षिक श्राद्ध हर दिन हर पल मनाया जाता है क्या समझे इसे परोपकार या हमारा साधुवाद। अकर्मण्य होने का इससे बड़ा क्या उदहारण हो सकता है की व्यक्ति स्वयं का मानसिक संतुलन बिगड़ने का आरोप भी इन दकियानूसी बातों के आधार पर निरर्थक साबित कर देता है।
में अचंभित हूँ समाज की इस बेबसी को देखकर, घुटन सी होती है, ह्रदय काँप उठता है दिन प्रतिदिन होती अनहोनी घटनाओ से, ना जाने किस ऒर इस हवा का रुख है, कौन सा काला बादल कब बरस पड़े, किस पर्वत पर। कितनो की आशाओं को जमीन में बिखेर दे।
ह्रदय व्यथित है इन विद्दम्नाओ से, ना जाने कब मौन होगा
उस दिन क्रितक्र्त्य हो जाऊँगा, धन्य हो जाऊंगा, तृप्त होगी आत्मा मेरी 

साभार
(अनुराग बेंजवाल "अनुप्रियांक")

Saturday 20 April 2013

करुण रुंदन 

अब ना वो बातें
ना अटकलें
ना बातों के तूफान
ना आसरा
ना  तेरा आँचल
ना तेरी ममता की छाव
ना वो सुबह की पहली टिनटिन
ना रात का वो शोरगुल
मखमल श्वेत पत्र सा ह्रदय मेरा
अब है शांत
अब ना कोई द्वन्द है
ना जीवन  जीने का विकल्प


(अनुराग बेंजवाल "अनुप्रियांक")
 सर्वाधिकार सुरक्षित 
तमन्ना  
किस्सा  कहानियों का था
हम हकीकत समझ बैठे
 रूबरू हूँ तेरी खुसबू से
ये महक अब तो दर ब दिन बदती जाएगी
दरिया दिल समंदर बन बैठा
अब  तो फ़ना हो जाऊ
बस येही  तमन्ना बाकी

खबर
हर सवेरा ले के आये खबर तेरी,
दे लबों पे मुस्कान और आँखों में चमक

तू है मेरा सावरा ,
दुलारा ,
क्र्त्क्र्त्य हो गया में ,
तेरी  वत्सलता से ,
कर गई दूर मेरे मन की उदासी ,
चांदनी सिमटी भॊर भई,
ललाट पे रवि की ज्योति,
 अखंडता का प्रतीक,
उदियामान गगन  तक व्याप्त,
तेरी  करुणा का सागर समेटे
तेरी ख़ुशी के आकार
प्रियंक मधु से महकता सा,
फिर सवेरा होने की चाह में
तेरी वत्सलता की छाव में
तेरा  तेरा बस तेरा 
wAQt
waqt ki timaardari karne ka shauk nehi..
bas inayat hai insaano se roobroo hone ke..
faisla to lena hota hai.... waqt ko kya puchein.....
wo to hamesha he bewaqt aata hai.... bemasam ki tarah.... tanha, akela, shant....
sukoon ki talassh me....waqt......
Aarju
ek raah, ek chaah, kalpna teri, simat gai mere oot me,
chah kar b, samjha na saka, jazbaat apne dil ke,
rookhsat hone ki wajah puchi to,
hans ke bole "ab to bai maut marenge mere chahne wale"