तू है मेरा सावरा ,
दुलारा ,
क्र्त्क्र्त्य हो गया में ,
तेरी वत्सलता से ,
कर गई दूर मेरे मन की उदासी ,
चांदनी सिमटी भॊर भई,
ललाट पे रवि की ज्योति,
अखंडता का प्रतीक,
उदियामान गगन तक व्याप्त,
तेरी करुणा का सागर समेटे
तेरी ख़ुशी के आकार
प्रियंक मधु से महकता सा,
फिर सवेरा होने की चाह में
तेरी वत्सलता की छाव में
तेरा तेरा बस तेरा
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